Pragya Homeo Clinic

Pragya Homeo Clinic 4, Krishnabag Apartment (near heritage scans),Lanka.Varanasi UP
mob.9335724390 plant, animal, mineral or others. consultation.phone-----91-9335724390.

This centre of Homoeopathic healing has been dedicated to the cause of human health.our prime emphasis is the prevention of diseases and sound health to the people of india and the treatment of chronic diseases with the help of most advance Homoeopathic softweres to reach at the most similimum medicine of the patients through the scientific case taking methodologyand case analysis to finalise a medicine of his--patient---kingdom ie. our confidence during the last three years have increased and we have been successfull in treating many chronic diseases which were subjected to surgery,thus we could save thousands of rupees of the patients
our consultation fee also has increased simultaniously which is as follows--
first visitconsultation-------rs. 1000/=+cost of medicine
second visit review of case---rs. 200/=+cost of medicine and there after service charges of rs. 100/=and the cost of medicine. appointment on phone is essential before visiting.

20/11/2025

संसार में होने वाले ज्यादातर रोग एलोपैथिक औषधियां के दुष्प्रभाव हैं।

मैंने अपने होम्योपैथिक चिकित्सा में हजारों टाइफाइड बुखार से ग्रस्त रोगियों का इलाज किया। पहले मैं विडाल टेस्ट करवाता था ,लेकिन पिछले 15 वर्षों से मैं रोगियों की जांच नहीं करवाता।

कोई आसानी से पूछ सकता है कि आपको कैसे मालूम कि रोगी को टाइफाइड बुखार है? इसी को अनुभव कहते हैं। मैं बिना जांच के यह समझ सकता हूं कि रोगी को टाइफाइड बुखार है। अथवा मलेरिया बुखार है।
मैं वैज्ञानिकता की के पचरे में नहीं फंसना चाहता। इससे रोगी की धन हानि होती है और हमें कोई विशेष सहायता नहीं मिलती। फायदा नहीं होता। बिना जांच के इलाज करने पर भी रोगी हफ्ते से 10 दिन में ठीक हो जाता है।
मैंने कुछ ऐसे रोगियों का इलाज किया है जिनको वर्षों से असाध्याय बीमारियां थी। जैसे 10 साल का माइग्रेन, पुरुषों या महिलाओं में बांझपन Sterility. मैं यहां रोगों का नाम नहीं लिखना चाहता। लेकिन यह बताना चाहता हूं कि टाइफाइड बुखार के गलत इलाज से या एलोपैथिक इलाज से शरीर में बहुत सारी बीमारियां होती हैं। आप इन्हें एलोपैथिक दवावों का साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव भी कर सकते हैं।
जब माइग्रेन के इलाज के लिए रोगी मेरे पास आया तो लक्षणों के आधार पर इलाज दिया गया, तो रोगी को एक हफ्ते बाद बुखार हो गया। उसके बाद जब रोगी ने बुखार होने की शिकायत की तो पता चला कि उसे 5 साल पहले भयानक टाइफाइड हुआ था। इस प्रकार हर साल उसे टाइफाइड होता है। जब होम्योपैथिक चिकित्सा के द्वारा टाइफाइड ठीक हुआ तो माइग्रेन भी साथ-साथ समाप्त हो गया ।
टाइफाइड बुखार का इलाज केवल होम्योपैथी या आयुर्वेद में ही संभव है। क्योंकि टाइफाइड की बैक्टीरिया आपकी आंतों में लंबे समय के कब्जियत के बाद पनपती है। आप आंतो की बैक्टीरिया को मार नहीं सकते। जब आप इन्हें मारने की कोशिश करते हैं ,तो आंतों के अंदर रहने वाली स्वास्थ्य दायक बैक्टीरिया भी मर जाती है। या जल्दी मर जाती है।

टाइफाइड बुखार में ली जाने वाली एलोपैथिक एंटीबायोटिक आंतों में ज्यादा कब्जियत पैदा करती है। और आंतों की बैक्टीरिया को मारती है। जिसके साथ स्वास्थ्य दायक बैक्टीरिया भी मर जाती है।आपका बुखार ठीक हो जाता है, यह भ्रम है।
वास्तव में बुखार रूपांतरित हो जाता है और किसी दूसरे रोग के रूप में प्रकट होता है।
जैसे माइग्रेन, आंतों में सूजन, बवासीर, गैस एवं एसिडिटी, आंखों की रोशनी में दिक्कत, बालों का गिरना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द। आदि बहुत सारी शारीरिक समस्याएं जन्म लेती हैं।
इस प्रकार आपके आंतों का सुरक्षा कवच समाप्त हो जाता है। और आप सैकड़ो बीमारियों से घिर सकते हैं। असाध्य बीमारियों से बचना है तो आंतों का साफ होना , कब्ज मुक्त होना,और टाइफाइड बुखार होने पर होम्योपैथिक चिकित्सक से इलाज लेना ही समाधान है।

10/11/2025

- आज की स्वास्थ्य चर्चा हृदय रोगों से जुड़ी हुई है।
आधुनिक चिकित्सकों ने हृदय रोगों के नाम पर एक आतंक फैला रखा है। हमें इस आतंकवाद से मुक्त होना पड़ेगा। अरबो रुपए की है, हृदय रोगों की इंडस्ट्री, जो आपका आर्थिक शोषण कर रही है। यदि आप इससे मुक्त होना चाहते हैं, तो आपका स्वागत है।

मित्रों, यदि किसी को हार्ट की बीमारी का पता लग गया है,जैसे उसकी कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज है। या उसका कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। हाइपरटेंशन है। हृदय की धड़कन काम हो गई है।डॉक्टर ने आपको बाईपास सर्जरी, स्टंट डलवाने, तथा पेसमेकर लगाने की सलाह दे दी है तो थोड़ा रुकिए ।
आपकी समस्या का समाधान बहुत ही सहज संभव है। होम्योपैथिक चिकित्सा, जीवन शैली में परिवर्तन, आपके भोजन और पोषण मे बदलाव से बहुत कम समय में आप स्वस्थ हो सकते हैं। तथा हृदय रोगों से मुक्त हो सकते हैं।
होम्योपैथी में हृदय रोगों से जुड़े हुए समाधान उपलब्ध हैं। सैकड़ो दवाइयां हैं जो रोगी के हृदय पर क्रिया करती हैं। 6 महीने से 1 साल के अंदर आपकी कोरोनरी आर्टरी डिजीज को ठीक किया जा सकता है। आप सामान्य स्वास्थ्य के साथ हृदय रोगों की डर से मुक्त होकर जीवन जी सकते हैं।

प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी में हृदय रोगों की चिकित्सा के लिए आपका स्वागत है। हम संपूर्ण विश्वास और कॉन्फिडेंस के साथ आपको हृदय रोगों से जुड़ी हुई बहुत सारी समस्याओं का समाधान दे सकते हैं। यदि आप सरल सहज और भय मुक्त होकर जीवन जीना चाहते हैं; तो एक बार आप प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक में चिकित्सा लेकर अनुभव कर सकते हैं।

CAD---- कोरोनरी आर्टरी डिजीज इसका अर्थ होता है आपके हृदय में रक्त संचार करने वाली धमनियों और वेन्स में भारी कोलेस्ट्रोल का जमा होना। रक्त वाहिनियों के ब्लॉक होने पर, जिसके लिए एलोपैथिक चिकित्सक आपकी या तो बाईपास सर्जरी करते हैं । या स्टंट डालकर जीवन भर डर और भय के साथ जीने का विकल्प देते है। आप इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।
हम आपको तनाव से मुक्त होने का प्रबंध भी सिखाते हैं। प्राणायाम मेडिटेशन जैसी योग क्रियाएं शरीर और मन को स्वस्थ रखने में बड़ी भूमिका अदा करती हैं। हमारी चिकित्सा में योग, ध्यान, प्राणायाम, आपका भोजन और पोषण,
साथ ही साथ होम्योपैथिक चिकित्सा के द्वारा हृदय रोगों के प्रबंधन भी किए जाते हैं। हमारी होम्योपैथी में कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवाएं प्रभावी हैं। रक्त संचार को सुव्यवस्थित करने के लिए, हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करने के लिए, तथा हृदय की धड़कनों को ठीक करने के लिए, सामान्य करने के लिए औषधियां उपलब्ध हैं।
जिन रोगियों में हृदय की धड़कन असामान्य होती है, डॉक्टर पेसमेकर लगाते हैं। इसके लिए डॉक्टर लाखों रुपए आपसे वसूलते हैं। ऊपर से एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन आपके सीने में डाल देते हैं। यह आपको हृदय रोगी होने का लगातार एहसास दिलाती रहती है।आप इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के जरिए अपने हृदय को नियमित करते हैं। आप इस बकवास से बच सकते हैं।
हृदय की धड़कन को नियमित करने के लिए होम्योपैथिक औषधियों के द्वारा हृदय की धड़कन को सामान्य किया जा सकता है। होम्योपैथी में ऐसी औषधियां हैं, जो हृदय की धड़कन को सामान्य करती हैं।
प्रायः एलोपैथी के डॉक्टर आपसे कहते हैं। दवाई जीवन भर चलेगी। कोई भी दवा बंद मत करना। वरना हार्ट अटैक हो जाएगा और आप मर जाएंगे। मैं अपनी चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी को डर और भय से मुक्त करता हूं। सिर्फ इतने से ही रोगी सामान्य होने लगता है। क्योंकि मैं रोगी को विश्वास दिला देता हूं कि उसकी चिकित्सा एक साल के बाद बंद हो जाएगी और वह सामान्य स्वास्थ्य और जीवन जीने के लिए डर और भय से मुक्त होगा।
डर और भय से मुक्त रहें। तनाव से मुक्त रहें।, डॉक्टर के आतंक से मुक्त रहें।, मेरी यही सलाह है।

चिकित्सा के लिए आप प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी में संपर्क कर सकते हैं।
संपर्क नंबर 9335724390
धन्यवाद

20/10/2025

आज की स्वास्थ्य चर्चा
मित्रों,
क्या आपको पता है मनुष्यों में तेजी से बढ़ता हुआ हृदय रोग और हार्ट अटैक एक बड़ी समस्या है। हमारे शरीर में होने वाली समस्त बीमारियां हमारे भोजन और पोषण के अनुसार होती हैं।
जैसा हम खाते हैं, और जिस तरह का वैचारिक और मानसिक जीवन हम जीते हैं, बीमारियां भी उसी तरह हमारे शरीर में विभिन्न अंगों को प्रभावित करती हैं। यदि हम यह कहे की बीमारियां मनुष्य के विचार का प्रतिफल होती हैं, तो गलत नहीं होगा।
हृदय रोग जीवन शैली भोजन और पोषण तथा मानसिक और वैचारिक स्थिति से जुड़ा हुआ विषय है। हृदय हमारी संवेदनाओं और भावनाओं का केंद्र है। हमारी भावात्मकता को प्रभावित करने वाली घटनाएं हृदय रोगों को जन्म देती है।
जैसे परिवार में किसी बहुत ही प्रिय व्यक्ति की मृत्यु घटना होना। पति, पत्नी, पुत्र, पिता ,माता आदि जो आपके मन और भावों से जुड़े हुए हैं। ऐसे रिश्तों की अचानक मृत्यु की घटना हमारे मानसिक आघात Mental Shock के कारक होते हैं। ऐसे लोगों में हृदय रोग की संभावनायें बढ़ जाती हैं।
जीवन की ऐसी परिस्थितियों में यदि आपके खान-पान और भोजन शैली विषाक्तअनियमित और उम्र के अनुसार नहीं है; तो हृदय रोग 100% सुनिश्चित है।
मैंने अपने पिछली कई पोस्ट में जीवन और भोजन शैली से जुड़े हुए विषयों पर तमाम जानकारियां उपलब्ध कराई हैं। आप उन्हें गहराई से पढ़ें ।अपने भोजन शैली और मानसिक विचारों में परिवर्तन करें।
योग प्राणायाम और ध्यान मनुष्य के स्वस्थ जीवन के सशक्त साधन हैं। इनका नियमित अभ्यास जीवन भर स्वस्थ रहने की गारंटी देते हैं। किसी अच्छे मार्गदर्शक से इन व्यावहारिक क्रियाओं को सीखें और स्वस्थ रहें।। यह सारी क्रियाएं मनुष्य को बीमारियों से मुक्त रखने के सशक्त साधन है।
हृदय रोगों से जुड़े सभी प्रकार के सशक्त उपचार के लिए प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी में संपर्क कर सकते हैं।
ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय की धड़कन की समस्याएं, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, जिसे हम ब्लॉकेज आफ हार्ट कहते हैं। सब कुछ होम्योपैथिक चिकित्सा में सरलता सुगमता के साथ ठीक किया जा सकता है।
हृदय की धमनियों में हैवी कोलेस्ट्रोल का जमाव हार्ट अटैक का कारण हो सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सा और भोजन शैली में बदलाव से यह तीन-चार महीने में ठीक हो जाता है। मैं ऐसा पहले कर चुका हूं।
मेरा हृदय रोगों की चिकित्सा का व्यावहारिक अनुभव है। हम ऐसा पहले कर चुके हैं। यदि आप ओपन हार्ट सर्जरी से बचना चाहते हैं। अपना लाखों रुपए बचाना चाहते हैं।
तो विश्वास और समर्पण के साथ संपर्क कीजिए। निर्धारित चिकित्सा का समय 6 महीने से 1 साल तक।
PH. 9335724390

डॉ एसपी मिश्र
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी।

20/01/2025

यदि आपके शरीर का तापक्रम बढ़ गया है अर्थात आपको बुखार हो गया है तो बुखार की गोली पेरासिटामोल अथवा पेरासिटामोल युक्त अन्य दवाइयां आपके लिए दुश्मन की तरह हैं।
बुखार की गोलियां खाने से हर व्यक्ति को बचना चाहिए ।बुखार की गोलियां तभी ले जब आपके शरीर का तापमान 104 या 105 डिग्री से ऊपर जाने लगे। ऐसी स्थिति में अपने चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। सामान्य तौर पर 105 डिग्री के ऊपर बुखार ब्रेन फीवर के ही केस में जाता है।
विषाणु जनित बुखार में अर्थात वायरल फीवर में पेरासिटामोल एक खतरनाक जहर की तरह है। वायरल फीवर में पेरासिटामोल का प्रयोग करने से बुखार ठीक हो सकता है, लेकिन यह बुखार टाइफाइड में बदल सकता है। जो आपके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
ज्यादातर टाइफाइड बुखार पेरासिटामोल खाने के बाद ही होता है। ऐसा मेरा वर्षों का अनुभव है ।वायरल टाइफाइड कभी ठीक नहीं होता। बुखार उतर जाता है और कुछ महीने के बाद फिर होता है। और यह बाद में बार-बार होने लगता है।
बार-बार टाइफाइड होने और इसका अंग्रेजी दवा करने से रोगी में संतान पैदा करने की क्षमता छीण होती है और स्पर्म काउंट घटने लगता है। इसलिए टाइफाइड बुखार के इलाज के लिए अपने नजदीकी विशेषज्ञ होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें।

18/01/2025

हमारे महान राष्ट्रभक्त सिसोदिया वंशी महाराणा प्रताप जंगलों में देश की रक्षा के लिए यदि घास की रोटियां खा सकते हैं । तो हम अपना घातक भयानक कैंसर रोग ठीक करने के लिए दो महीना घास खाकर क्यों नहीं जी सकते।?
याद रखिए केवल 2 महीना घास फूस के जूस और उसे बनी हुई रोटियां फल और प्राकृतिक भोजन पर जीना सीख लीजिए आपका कैंसर रोग जड़ मूल से नष्ट हो जाएगा। यह मेरे 35 वर्षों का अनुसंधान है।
कैंसर चिकित्सा एक तपस्या है, जो अस्पतालों में नहीं की जाती इसके लिए आपको आपके घर का शुद्ध प्राकृतिक वातावरण चाहिए। घर के लोगों का प्राकृतिक प्रेम पूर्ण माहौल चाहिए जो आतंक से मुक्त हो। अस्पताल आतंक के केंद्र बन गए हैं, इसलिए अस्पतालों से बचिए।
आवश्यकता हो तो जंगल में चले जाइए वहां किसी आश्रम में कुछ दिनों के लिए आश्रय लीजिए। जितना पैसा अस्पतालों में खर्च करेंगे उससे बहुत कम पैसा आप आश्रम के संन्यासियों को दे दीजिए।
कैंसर घास हरे रंग के रस जूस फल फूल और कोई भी प्राकृतिक भोज तत्व किसी भी कीमत पर ग्रहण नहीं करता। आपके शरीर में वह भूखा मर जाएगा यदि आप इन सबका पालन करते हैं।
विशेषज्ञ सलाह के लिए आप प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी में फोन नंबर 9335 724 390 पर संपर्क कर सकते हैं।
होम्योपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है और कैंसर एक अप्राकृतिक रोग है। कैंसर कभी भी प्रकृति को ग्रहण नहीं करता इसलिए कैंसर को होम्योपैथिक चिकित्सा से हराया जा सकता है। इसलिए आप प्रकृति की गोद में जाइए कैंसर खुद ही हार जाएगा।
डॉ एसपी मिश्रा वरिष्ठ चिकित्सक प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक लंका वाराणसी

18/01/2025

होम्योपैथिक चिकित्सा लेने से पहले निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है ।
होम्योपैथिक चिकित्सा लेने के समय रोगियों को एलोपैथिक दवावों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि दोनों ही चिकित्सा पद्धतियां एक दूसरे के विपरीत हैं। यह कंप्लीमेंट्री चिकित्सा पद्धतियां नहीं है। कुछ चिकित्सक इसका समर्थन करते हैं की होम्योपैथिक इलाज के साथ एलोपैथी भी चलती है। मैं इसका समर्थन नहीं करता।
होम्योपैथिक चिकित्सा से मनुष्य के शरीर में छिपे हुए रोगों का वहिर्गमन होता है। जबकि एलोपैथिक चिकित्सा में रोग अंदर शरीर में दबता है। होम्योपैथी एक्सट्रोवर्ट है जो कि शरीर के प्राकृतिक विधान के अनुसार है। जबकि एलोपैथी इसके ठीक उल्टा है जो अप्राकृतिक है।
जैसे यदि आपको चर्म रोग है तो होम्योपैथिक चिकित्सा से यह चर्म रोग बढ़ता है अर्थात आपकी त्वचा पर इसका ज्यादा उग्र प्रभाव दिखाई पड़ता है जबकि एलोपैथिक चिकित्सा से यह वापस शरीर के अंदर चला जाता है। जिसे सप्रेशन कहा जाता है। यह बहुत ही घातक है इससे तमाम अन्य रोगों का जन्म होता है।
होम्योपैथिक चिकित्सा में रोग वृद्धि एक सामान्य बात है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह एक अच्छा लक्षण है। चिकित्सा जारी रखने रखने पर उग्र लक्षण धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं और रोगी सामान्य स्थिति को प्राप्त हो जाता है।
प्राथमिक रोग वृद्धि इस बात का प्रमाण है की दवा रोगी पर प्रभाव डाल रही है। वैसे यह सिद्धांत हर रोग की चिकित्सा में लागू नहीं होता। चर्म रोग गठिया बात अर्थराइटिस के अतिरिक्त यह रोग वृद्धि अन्य रोगों की चिकित्सा में नहीं दिखाई पड़ती।
वरिष्ठ चिकित्सक होम्योपैथी एवं वैकल्पिक चिकित्सा।
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी

02/01/2025

------------जीरो ऑयल कुकिंग क्या है? और क्यों अस्वस्थ बीमार लोगों के लिए आवश्यक है?
जीरो ऑयल कुकिंग अस्वस्थ रोगियों के लिए विशेष कर असाध्याय रोग जैसे कैंसर, हार्ट डिजीज,या अन्य असाध्य रोगों के उपचार के लिए आवश्यक शर्त है। क्योंकि तेलों में ट्राइग्लिसराइड पाया जाता है जो हृदय की धमनियों को ब्लॉक करता है और परिणाम स्वरूप हृदयाघात या हार्ट अटैक जैसी स्थितियां जीवन में पैदा हो जाती है।
हृदय रोगियों को विशेष रूप से जीरो आयल कुकिंग अपनाना चाहिए। आईये सीखते हैं। जीरो आयल कुकिंग कैसे करें? सब्जी भाजी पकाने में मसाले से कोई परहेज नहीं है। क्योंकि मसाले औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की वृद्धि करते हैं।
इसलिए भोजन पकाने में मसाले की भूमिका ज्यादा होनी चाहिए तेल की भूमिका शून्य होनी चाहिए।
यदि मसालेदार रसदार सब्जी बनाना चाहते हैं तो इसके लिए एक साथ टमाटर लहसुन अदरक मिर्च और प्याज को मिक्सर ग्राइंडर में पीसकर ग्रेवी बना ले। हरी सब्जियों को नमक के पानी में हल्का उबालकर पहले से रख ले। इन्हीं ग्रेवी वाले मसाले को कढ़ाई में बिना तेल के पकाए। अब इसी ग्रेवी में अपनी इच्छा के मसाले को मिलाकर पकाते रहें ।
आवश्यकता पडने पर बीच-बीच में मसालो को जलने से बचाने के लिए दो चम्मच पानी का प्रयोग करें। हमें मसाले को पकाना है। मसाले को जलाना नहीं है। इस प्रकार पकाए हुए मसाले में उबली हुई सब्जियों को डालकर मिलाएं और कुछ देर पकाने के बाद आवश्यकता अनुसार जल मिलायें।
इस बात का ध्यान रखना है । तेल में मसाले जलाए जाते हैं। पकाये कम जाते हैं।
इसी तरह और भी सूखी सब्जियां बनाई जा सकती हैं। जिसमें तेल की जगह कच्चे नारियल का प्रयोग कद्दूकस करके कर सकते हैं, जो तेल का काम करेगा। इसमे जरूरत के मसाले भी मिला सकते हैं। हमेशा याद रखें मसाले को पानी में पकाएं, ना कि तेल में जलाएं।
हृदय रोगियों तथा कैंसर के रोगियों के लिए यह जीरो आयल कुकिंग इलाज की आवश्यक शर्त है।

31/12/2024

शीतकाल का चरमोत्कर्ष चल रहा है। इस काल में अतिरिक्त सावधानी,आहार विहार और जीवन शैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
शीतकाल में मनुष्य के शरीर मे प्राकृतिक रूप से संकुचन होता है। आंतरिक अंगों में भी ऐसा ही कुछ परिवर्तन होता है।इसलिए हृदय की रक्त परिसंचरण करने वाली वाहिनियों में संकुचन के कारण रक्तचाप ब्लड/ प्रेशर बढ़ जाता है।
इन दिनों में भूख ज्यादा लगती है। आलस के कारण आदमी का टहलना घूमना भी कम हो जाता है । अवकाश प्राप्त बुजुर्ग लोग जिनके पास कोई काम नहीं है खाता है और आराम करता है।
खाने में फैट और ट्राइग्लिसराइड का प्रयोग भी ज्यादा ही होता है। दोनों ही हृदयाघात लिए जिम्मेदार हैं। दूध घी और मांसाहारी भोजन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है। और सभी प्रकार के खाने वाले तेलों में ट्राइग्लिसराइड विद्यमान होता है। तेलों में पाया जाने वाला ट्राइग्लिसराइड बहुत ही खतरनाक है,जो हार्टअटैक के लिए जिम्मेदार है।
यह दोनों ही हमारे हृदय की रक्त नलियों में धीरे-धीरे जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करते हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। ठंडी के दिनों में यह कुछ ज्यादा होता है।
अपने भोजन से फैट और ट्राइग्लिसराइड को उम्र के अनुसार सीमित करने की आवश्यकता होती है। जो लोग पहले से ही हृदय के रोगी हैं, उन्हें बचाव की बड़ी जरूरत होती है। उन्हें तेल घी और मांसाहारी भोजन से अवश्य बचना चाहिए।
जीरो ऑयल कुकिंग को भोजन पकाने में अपनाना चाहिए। बूढ़े बुजुर्गों को हमेशा गर्म पानी से ही नहाना चाहिए। आग और हीटर से शरीर को सेकना चाहिए। यदि धूप निकली हो तो तेज धूप का सेवन करना चाहिए।
अतिरिक्त विटामिन डी सूरज की रोशनी से प्राकृतिक रूप में ग्रहण करना चाहिए। सुपाच्य भोजन खाएं। ज्यादा मात्रा में संतरा, मुसम्मी ,नींबूपानी जैसी विटामिन सी का प्रयोग करें।
चूड़ा मटर खाने से बचें, क्योंकि इसे तैयार करने में ज्यादा मात्रा में तेल का प्रयोग होता है। वैसे हरी मटर के पकवान भी बिना तेल के बनाए जा सकते हैं। भोजन पकाने की जीरो ऑयल कुकिंग शैली को सीखने की जरूरत है।
शीत ऋतु में भोजन पकाने में ज्यादा से ज्यादा गरम मसाले का प्रयोग करना चाहिए। लहसुन प्याज और अदरक का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। यह सब आपके स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।
चाहें तो तेल की जगह प्याज टमाटर और दही से ही अपने भोजन को पका सकते हैं। जीरो ऑयल कुकिंग कैसे करें इस पर अलग से एक पोस्ट लिखूंगा।
डॉ एसपी मिश्र
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक
लंका वाराणसी।

29/11/2024

--------------कैंसर ग्रस्त रोगी में कैंसर कोशिकाओं का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। यह समानांतर साम्राज्य शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं के साथ-साथ चलता है। कैंसर कोशिकाएं शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को मार-मार कर खाती हैं, और पीडा भी देती हैं।
एक तरह से शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर कैंसर कोशिकाओं का शासन चलता है। और इस तरह हमारा शरीर कैंसर का गुलाम बन जाता है।
हम कैंसर कोशिकाओं को मार सकते हैं, सिर्फ इस जानकारी के साथ कि कैंसर कोशिकाएं क्या खाना पसंद नहीं करती। यदि यह पता चल जाए कि कैंसर कोशिकाओं को कौन सा भोजन पसंद नहीं है।
कैंसर रोगियों को उन्ही भोज्य पदार्थों को ग्रहण करना चाहिए जो कैंसर कोशिकाएं खाने में पसंद नहीं करती या नहीं खाती। आप कुछ ही दिन में देखेंगे कि कैंसर कोशिकाएं भूखी मरने लगेंगी। आप उन सब भोज तत्वों का परित्याग कर दीजिए जो कैंसर कोशिकाएं बड़े चाव से खाती हैं तथा
आपके शरीर में मोटी और स्वस्थ होती हैं तथा शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं का विनाश करती ह।
जैसे मुर्गा बकरा अंडा मसालेदार तेल में तले हुए भोजन चीनी मिठाई नमकीन जायकेदार भोजन और अन्य तमाम तरह के पदार्थ जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
कैंसर के रोगियों को किचन से हटाना पड़ेगा। रोगियों के लिए एक उत्तम क्वालिटी का जूसर और मिक्सर ग्राइंडर खरीदिए। खर्च के नाम पर कुछ होम्योपैथिक औषधियां और जूसर ग्राइंडर यही सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट है, जो आपके परिवार के भी काम आएगा।
प्रज्ञा होम्यो क्लीनिक।
लंका वाराणसी।।

23/11/2024

----------कैंसर को वैकल्पिक चिकित्सा द्वारा हराया जा सकता है। इसका प्रमाण पत्र मिल गया। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को स्टेज 4 कैंसर से बाहर निकाल कर भोजन और पोषण की शैली में बदलाव कर कैंसर को हराया गया। यह 100% सत्य है। मैं यही बात बरसों से कह रहा हूं और कर रहा हूं।
कैंसर बहुत ही सरलता से उपचारित किया जा सकता है। बस आवश्यकता है,आपको एलोपैथी के जंजाल से और उनके फैलाए हुए झूठ से बाहर निकलने की।
कैंसर के रोगी अपने जीवन में भोजन और पोषण की शैली को बदलकर कैंसर ठीक कर सकते हैं। मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी तो मैं यह मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हूं।
क्योंकि मैंने पहले 10 साल पहले इसी रास्ते पर चलकर होम्योपैथिक चिकित्सा के साथ नॉन होचकिंस लिंफोमा रक्त कैंसर को संपूर्ण रूप से ठीक किया है।
मुझे अब किसी को प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने यह प्रमाण पत्र दे दिया है।

19/10/2024

------क्या आप जानते हैं कैंसर ठीक क्यों नहीं होता?
क्योंकि हम जिन पदार्थो का भोज करते हैं या हमारे भोजन शैली में जो भी कुछ शामिल है; उसी में से कोई एक ऐसा भोज तत्व है, जो हमारे शरीर के लिये प्रतिक्रियात्मक है।
मेडिकल टर्म में इसे एलर्जिक या एलर्जेंस कह सकते हैं। इसका मतलब हमारा शरीर उसे भोज तत्व को स्वीकार नहीं कर रहा है एक कैंसर विशेषज्ञ को किसी रोगी में यही खोजना है।
हमें यह ज्ञात नहीं होता कि वह कौन सा भोज तत्व है, जो हमारे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को जन्म देने के लिए जिम्मेदार है। मैंने एक रोगी में दूध पीकर कैंसर होते हुए देखा है, जाना है, और संपूर्ण रूप से इलाज कर उसे रोग मुक्त भी किया है; इस हिदायत के साथ कि वह अब जीवन में कभी दूध नहीं पी सकता।
यह एक नॉन हाचकिंस लिंफोमा कैंसर का केस था; और वह भी लहरतारा कैंसर अस्पताल से निकालकर मरने के लिए फेंका हुआ।
इसलिए अपनी भोजन शैली को बदलना पड़ेगा और हमें ऐसे पदार्थ का सेवन करना पड़ेगा जो कैंसर कोशिकाओं के लिए दुश्मन का काम करें ।
जानवरों से बने हुए पदार्थ या भोज तत्व अथवा जिन भोज तत्वों में रासायनिक पदार्थ मिले हैं; वह सब कैंसर कारक हो सकते हैं। यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरीके से प्रभावित होगा ।
यह मेरे 40 वर्षों के अनुभव का सारांश है। मैंने बहुत सारे कैंसर रोगियों को रोग मुक्त किया है। मुझे यह बहुत ही सरल लगता है।
बस आप एलोपैथिक दवावों के चक्र में न फंसे; क्योंकि वहां कैंसर का कुछ भी समाधान नहीं है। केवल लूटपाट और धन उगाही के अलावा वहां झांसा है; समाधान बिल्कुल नहीं। लेकिन हमारे देश में सबसे ज्यादा अस्पताल कैंसर के ही हैं।
मुझे यह बहेलिया का कंपा लगता है जहां बुलबुल रोगी फंस जाते हैं और अंत में मौत को प्राप्त होते हैं।

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Varanasi

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