Vastu Bhagyam

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06/11/2018

Wishing you joy and prosperity this Diwali

16/10/2017

उपाय : उचित घर वह है जिसकी दिशा ईशान, उत्तर, वायव्य या पश्‍चिम में हो। यदि ऐसा नहीं है तो प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाएं। घर के जिस हिस्से में वास्तुदोष हो वहां कर्पूर की एक डली रख दें। उस डली से सुगंध निकलती रहेगी और वह वहां का वातावरण बदल देगी। घर के सभी सदस्यों के सोने के स्थान उचित दिशा में रखें।

घर में मोर पंख रखें। इससे भी वास्तुदोष दूर होता है। माना जाता है कि घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में मोर का पंख लगाने से भी घर में बरकत बढ़ती है। यदि मोर पंख को घर के उत्तर-पश्चिमी कोने में रखें तो जहरीले जानवरों का भय नहीं रहता है। अपनी जेब या डायरी में मोर पंख रखने पर राहु दोष से ‍मुक्ति मिलती है।

15/10/2017

बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्‍वीरें या फिर धार्मिक आस्‍था से जुड़ी वस्‍तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्‍टर या तस्‍वीरें नहीं लगाएं तो अच्‍छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्‍वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्‍नी में झगड़े नहीं होते

15/10/2017

भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं। वह वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य माने जाते हैं। उनकी जयंती पर उनकी आराधना के साथ औजारों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन से मशीनरी लंबे समय तक साथ निभाती है। आप जिन मशीनरी का उपयोग करते हैं उनकी साफ-सफाई रखें। इनकी अच्छे से देखरेख करें।
भगवान विष्णु के नाभि-कमल से भगवान ब्रह्मा उत्पन्न हुए। भगवान ब्रह्मा के पुत्र का नाम धर्म था, जिनका विवाह वस्तु से हुआ। धर्म और वस्तु के संसर्ग से सात पुत्र उत्पन्न हुए। सातवें पुत्र का नाम वास्तु रखा गया, जो शिल्पशास्त्र में पारंगत थे। वास्तु के पुत्र का नाम विश्वकर्मा रखा गया।
सोने की लंका, इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। उन्होंने ही उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी किया। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। सभी औजारों की तिलक लगाकर पूजन करना चाहिए। माना जाता है कि भगवान विश्‍वकर्मा पानी में चल सकने वाली खड़ाऊ भी बना सकते थे।

26/01/2016

क्या मैं सही दिशा में हूं या या मैं जो कर रहा हूं वो सही है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे हम दिन में न जाने कित्नी बार अपने आप से पूछते होंगे। हर स्थति में यह प्रश्न हमारे सामने होता है।

जब भी हम अपने जीवन में अपने किसी बडे उद्देश्य, लक्ष्य की प्राप्त की तैयारी या एक नए उम की शुरुआत् के समय गहरी सांस लेकर अपनी ऊर्जाओं को एकत्रित करते हैं, तभी ये प्रश्न हमारे सामने खडा हो जाता है। और यदि हमें अपनी मेहनत, अपने प्रयासों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता है तो एक बार फिर हम यही सोचने लगते हैं कि या मैं सही दिशा में जा रहा हूं।

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आज हमारे जीवन में जो भी घटित हो रहा है, अच्छा या बुरा, यदि अच्छा घटित हुआ तो ठीक और यदि कुछ अनिष्ट हुआ तो हम कहते हैं कि ये ऊपरवाले की मर्जी थी या किसी व्यक्ति पर हम उस बुरी घटना का दोष डाल देते हैं। लेकिन एक प्रश्न ये है कि या हम की अपने आस-पास प्रवाहित होने वाली तरंगों के प्रति सजग हुए हैं?

या हमारे घर की तरंगे सही और व्यवस्थित हैं? ऐसा हमारे साथ ही यों होता है? या की ये सोचा है कि घर के एक कमरे में अच्छी नींद यों आती है और दूसरे कमरे में नहीं या घर की किसी विशेष जगह पर परिवार के लोगों के विचार एक नहीं हो पाते हैं? यह सब वास्तु की तरंगों की वजह से होता है। इन तरंगों का हमारे जीवन में वही महत्व है जैसे योग और ध्यान साधना में श्वास के प्रति जाग्रत का।

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कई बार आपने यह महसूस किया होगा कि आप कुछ खरीदने के लिए किसी दुकान में जाते हैं और वहां कुछ नए प्रोडक्ट देता हैं और आप अपनी सोच से ज्यादा उन्हें खरीद लेते हैं, हालांकि उनको खरीदने की आपकी योजना नहीं थी, और फिर घर आकर आप सोचते हैं कि आपने उसे यों खरीद लिया।

ठीक इसके विपरीत् ऐसा तभी होता है कि आप कुछ सामान लेने के लिए बाजार गए और बिना कुछ लिए ही वापस आ गए। ये सब हमारे आस-पास प्रवाहित् हो रही ऊर्जाओं की वजह से होता है।

ध्यान देने की बात ये है कि मेहनत तो हर व्यक्ति अपने जीवन में कर रहा है। लेकिन अगर हम अपने घर और कार्यक्षेत्र की तरंगों, ऊर्जाओं जो, वास्तु को ध्यान देकर और उसके प्रति सजग होकर काम करते हैं तो अपने जीवन में सफलता के अनुपात को बढा सकते हैं।

14/01/2016

जब घर में हों मकड़ी के जाले



वास्‍तु के अनुसार मकड़ी के जाले घर में बहुत अशुभ माने जाते हैं। अमूमन देखा जाता है घर के निचले हिस्सों की तो सफाई हो जाती है लेकिन छत या ऊपरी हिस्सों की ठीक से सफाई नहीं हो पाती। ऐसे में वहां मकड़ी द्वारा जाले बना लिए जाते हैं। घर में ये जाले होना अशुभ माना जाता है।

लोग कहते हैं कि घर में मकड़ी के जाले नहीं होना चाहिए। ये अशुभ होते हैं। ये अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण मौजूद हैं। मकड़ी के जालों की संरचना कुछ ऐसी होती है कि उसमें नकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है। इसलिए घर के आनजिस भी कोने में मकड़ी के जाले होते हैं, वह कोना या हिस्सा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इस कारण घर में कलह, बीमारियां व अन्य कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

मकड़ी के एक जाले में असंख्य सूक्ष्मजीव रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचाते हैं। इसलिए कहा जाता हैं कि अगर घर में मकड़ी के जाले होते हैं तो घर की सुख-समृद्धि का नाश होने लगता है क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा के कारण घर का माहौल इतना अशांत हो जाता है कि व्यक्ति चाहकर भी अपने काम को मन लगाकर नहीं कर पाता है। इसलिए मकड़ी के जालों को अशुभ माना जाता है।

ध्यान रखें

24/10/2015

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अगरबत्तियां: प्रत्येक घर में भगवान की पूजा करने के लिए धूप व अगबत्तियों का प्रयोग करते हैं। अगरबत्तियों की मोहक सुगंध से आसपास का वातावरण सुगंधित हो उठता है। ये बहुत ही उपयोगी होती हैं। क्योंकि, इनसे नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वायु शुद्ध हो जाती है। धूप जलाने से ऊर्जा का सृजन होता है, स्थान पवित्र हो जाता है व मन को शान्ति मिलती है। इसलिए, प्रतिदिन अगरबत्तियां और धूप जलाना अति उत्तम और बहुत ही शुभ है।

24/10/2015

दरवाजे के पास पानी: दरवाजे के पास पानी होना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। विशेष रूप से यह उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर के दरवाजों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। पानी का पात्र अत्यंत सावधानी के साथ रखना चाहिए। इस पात्र को दरवाजे के पास बाईं ओर रखना चाहिए। जब आप
घर में खडे हों और बाहर की ओर देख रहे हों, तो आपके बाईं ओर पानी हो, दरवाजे के दाईं ओर भूल कर भी पानी का पात्र मत रखिए, क्योंकि इसका उल्टा असर हो सकता है । इसके कारण घर का पुरूष किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हो सकता है अथवा वैवाहिक जीवन में किसी तीसरे का प्रवेश हो सकता है ।

24/10/2015

वर्तमान युग में वास्तु को मिली प्रसिद्ध स्वयं उसकी प्रासंगिकता का प्रमाण है। इससे पहले कि हम वास्तु के विभिन्न पहलुओं और हमारे मानसिक व शारीरिक हितों पर उनके प्रभाव की बात करें, यह उचित होगा कि इस प्राचीन विज्ञान के कुछ मौलिक तथ्यों के बारे में पाठकों को परिचित करा दिया जाए। इस अध्याय में वास्तु के धार्मिक व आध्यात्मिक पक्षों, उसके मूल सिद्धांतों और दिशाओं के महत्त्व के बारे में बताने का प्रयास किया गया है।

प्र.1. ‘वास्तु’ से आप क्या समझते हैं ?
उ. ‘वास्तु’ शब्द संस्कृत ‘वास’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है—निवास करना। यह ‘वास्तु’ और ‘वासना’ शब्दों से भी संबंध रखता है। इसका अभिप्राय है—जीवन को इच्छाओं और वास्तविकता के अनुरूप जीना।
प्र.2. क्या आप साधारण शब्दों में बता सकते हैं कि वास्तुशास्त्र क्या है ?
उ. यह प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप जीने का प्राचीन विज्ञान है।
प्र.3. यह किस हद तक सही है कि वास्तु सिर्फ एक अंधविश्वास है ?
उ. वास्तु ठोस सिद्धांतो पर आधारित है, जिनका वैज्ञानिक आधार मौजूद है।
प्र.4. वास्तु का मूल सिद्धांत क्या है
उ. हमारा शरीर और यह पूरा ब्रह्मांड पाँच तत्त्वों—वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से बना है। इन सभी तत्त्वों का सही दिशाओं में संतुलन बनाए रखना ही वास्तु का सिद्धांत है।
प्र.5. क्या वास्तु एक धार्मिक पद्धति है, जो सिर्फ हिंदुओं को प्रभावित करता है ?
उ. जिस प्रकार सूर्य की ऊर्जा प्रत्येक को लाभ पहुँचाती है उसी प्रकार वास्तु के सिद्धांत सभी मतों के लोगों को प्रभावित करते हैं।

प्र.6. क्या इसका धर्म से कोई संबंध है ?
उ. धर्म जीने की एक राह है और वह हमारे जीने के तरीके के अनुरूप होता है। इस ब्रह्मांड में बहुत सी शक्तियां मौजूद हैं और वे सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा छोड़ती हैं। वास्तु नकारात्मक शक्तियों का मुकाबला करने और सकारात्मक शक्तियों को ग्रहण करने में मदद करता है।
प्र.7. क्या वास्तु का कोई आध्यात्मकि पक्ष भी है ?
उ. बिलकुल। वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप जीने से शांति प्राप्त होती है, जो हमारी आत्मा और जैव विद्युत क्षेत्र को शक्ति देता है।
प्र8. वास्तु में कितनी दिशाएँ हैं ?
उ. दिशाएँ सिर्फ वास्तु में नहीं हैं बल्कि वे सूर्य से संबद्ध हैं। ये दिशाएँ हैं—पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।

2. वास्तुशास्त्र की उत्पत्ति

सारतत्त्व

वास्तुशास्त्र की उत्पत्ति संभवतः वैदिक काल में हुई। महाभारत, रामायण, मत्स्यपुराण आदि महाकाव्यों में वास्तु का वर्णन मिलता है। इंद्रप्रस्थ का निर्माण वास्तु के नियमों के अनुसार किया गया था; लेकिन एक बड़ी गलती के कारण यह कौरवों के विनाश का साक्षी बना। द्वारका का प्राचीन नगर, जो बाद में डूब गया, वास्तु-आधारित था।

प्र.9. क्या वेदों में वास्तुशास्त्र का कोई उल्लेख मिलता है ?
उ. ‘ऋग्वेद’ में इस बात का उल्लेख है कि किसी घर के निर्माण के पहले ‘वास्तु स्पतिदेव’ की पूजा कराई जानी चाहिए। इसमें वास्तु शांति मंत्र भी दिया गया है।
प्र.10 वास्तुशास्त्र से संबंधित प्राचीन संबंधित ग्रंथ कौन से हैं ?
उ. संस्कृत में वास्तुशास्त्र के कई ग्रंथ हैं। इनमें दो प्रमुख हैं—विश्वकर्मा प्रकाश’ और ‘समरंगन सूत्रधार’।
प्र.11. क्या किसी वास्तु—आधारित प्राचीन नगर का कोई प्रमाण मिला है ?
उ. द्वारका का प्राचीन नगर वास्तु के नियमों के अनुरूप बनाया गया था।
प्र.12. क्या हमारे धार्मिक ग्रंथों में वास्तु का कोई उल्लेख है ?
उ. हाँ, मत्स्यपुराण, रामायण और महाभारत में वास्तु का उल्लेख किया गया है।
प्र.13 कौरवों के विनाश में वास्तु का क्या योगदान था ?
उ. इंद्रप्रस्थ के बीचोबीच एक कुआँ खुदवाया गया था, जो वास्तु के सिद्धांतों के बिलकुल विपरीत था।

18/10/2015

लंबी बीमारी से राहत के वास्तु उपाय
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कभी कभी घर में बीमारी आकर जाने का नाम ही नही लेती। तमाम उपचार व् सावधानियों के बाद भी बीमारी घर स्थायी हो जाती है. ऐसे में बीमार वयक्ति के साथ साथ घर के अन्य सदस्य भी परेशान रहते है. ऐसे में रोग के उपचार के साथ वास्तु के नियमों का भी पालन किया जाए तो बीमारी से जल्दी मुक्ति मिलेगी। आइये जानते है क्या है ये बीमारी से बचने के वास्तु नियम
बीमार वयक्ति का कमरा फैला हुआ नही होना चाहिए और उसमे अनावश्यक सामान इकट्ठा ना करें।
जिन घरों में किचन ईशान कोण (नार्थ-ईस्ट) में होती है वहाँ बीमारी अपना घर बना लेती है. इसका उपाय करना जरूरी होता है,
बीमार वयक्ति के पांव गेट या टॉयलेट की तरफ नही होने चाहिए, दीवार की तरफ पैर करने चाहिए.
कभी भी उत्तर की तरफ सर करके नही सोना चाहिए। उत्तर की तरफ पैर करके सोना सेहत के लिए अच्छा रहता है.
यदि पलंग के ऊपर कोई बीम है तो पलंग वहाँ से हटा दे
शौचालय के पास या ब्रह्मस्थान पर कोई भंडार या भरी सामान रखने से पेट सम्बन्धी परेशानी आने की प्रबल सम्भावना बनती है
यदि कोई वयक्ति एक कमरे में काफी दिन से बीमार चल रहा है तो उसका कमरा बदल दे

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